मत्थम सी महक से इस दिल में समा जा, थाम के रख लू के सास हो मेरी, जिंदगी से रिश्ता कुछ ऐसे ही बनता हे, कुछ इस तरह आदत बन जा। ....
क्या लिखू कैसे लिखू?.... तुम्हारी ही तो परछाई हु में.. , दुनिया के गहरे रिश्तो से भी पुराना, पुराना गहरा रिश्ता हे ये..