खुद को रोक कैसे सकेगा, जब हो तिरंगा हाथ में, फिर से उम्मीदे जाग उठेगी,देख के इसकी आग में...
एक अरसा दिखेगा सूरत से ही, गौर करना उसकी आखो को, मुस्कान तुम को मिल जायेगी , बिखरी हसी बिन दातो की...