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नन्हा राष्ट्रवाद

खुद को रोक कैसे सकेगा, जब हो तिरंगा हाथ में,
फिर से  उम्मीदे जाग उठेगी,देख के इसकी आग में... 





नन्हा राष्ट्रवाद 


खुद को रोक कैसे सकेगा,
जब हो तिरंगा हाथ में,
फिर से  उम्मीदे जाग उठेगी,
देख के इसकी आग में... 


नंगे पाओ चल पडा हे,
देख के सपने कल के,
अपना भविष्य बदलके रहेगा,
बचपन के इस जाल में... 


संभल जायेगा खुद ही खुद,
जीवन के इस ज्वाला से,
खुद को बनाके देश का,

चल बढ़ा नन्हे राष्ट्रवाद में..

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