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बिखरी हसी

एक अरसा दिखेगा सूरत से ही, गौर करना उसकी आखो को, मुस्कान तुम को मिल जायेगी ,
बिखरी हसी बिन दातो की... 



बिखरी हसी 


एक अरसा दिखेगा सूरत से ही,
गौर करना उसकी आखो को,
मुस्कान तुम को मिल जायेगी ,
बिखरी हसी बिन दातो की... 

सवाल करना उससे तुम,
के, कितने मौसम बिताये हे...?
हस  देगा वो  तुम्हे देख के,
 झुरिया दिखाके हाथो की... 

तजुर्बा उसका साफ झलकता,
सफेद उसगी बालो से... 
जवाब मिलेंगे तुम को जीने के,
पोटली में रखे माथे की.. 

 सिख लेना जीने का तरीका,
के काम तुझको आएगा,
खुद के तजुर्बे करते करते,
एक जमाना जायेगा।।।

दिलमें  संभाले रखना तुम,
बिखरी हसी बिन दातो की। .. 
सोच में वरना पड  जाओगे ,
जीवन के रेखा हाथो की। 
... 

बिखरी हसी बिन दातो की

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