मेरी माँ
क्या लिखू कैसे लिखू?....तुम्हारी ही तो परछाई हु में.. ,दुनिया के गहरे रिश्तो से भी पुराना, पुराना गहरा रिश्ता हे ये..
मेरी माँ
क्या लिखू कैसे लिखू?
तुम्हारी ही तो परछाई हु में..
दुनिया के गहरे रिश्तो से भी पुराना,
पुराना गहरा रिश्ता हे ये..
सोच के लिखू, या बिना सोचे?
पहले नाल से जुड़ा, अब दिल से हे ये..
रोके रखे अगर दिल की बात,
तोह बिना बोले समझे हे ये....
तुझे कहु में अल्लाह, या ईश्वर से तुझको में जोडू?
जनम दिया हे तूने, एहसान कैसे मानु ,
प्यार से कहके हर बात को,
फ़रिश्तो की तरह जन्नत हे ये...
समझ लें ना, तुम समझती हो मुझको,
अगर में कुछ न कह पाऊ ,
अगला जनम भी तू ही दे,
मांगी तुम से मन्नत हे ये। ...
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